मथुरा जनपद में 16 सेंटीमीटर घटा यमुना का जलस्तर, फिर भी मुश्किलें बरकरार

मथुरा। जिले के कई क्षेत्रों में यमुना का पानी घुसने से लोग बेहाल हैं। उफान पर आई यमुना मुसीबत बन गई है। अनेक गांवों के लोग घरों में कैद हो गए हैं और छतों पर रहने को मजबूर हैं। जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन और सिंचाई विभाग की टीम लगातार बचाव और राहत कार्य में जुटी है। शुक्रवार को मथुरा की पांच कॉलोनियों समेत वृंदावन के कुछ क्षेत्रों के करीब सौ लोगों का रेस्क्यू कर राहत शिविरों में भेजा गया है। हालांकि जलस्तर खतरे के निशान से नीचे आने पर अधिकारियों ने राहत की सांस ली है। बृहस्पतिवार को यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 166.00 मीटर से 16 सेंटीमीटर ऊपर बहने लगा था। इससे नदी के किनारे बसी कॉलोनियों और नजदीकी गांवों के लिंक रोड तक पानी पहुंच गया। जिले के कई गांव टापू बन गए, वहीं जयसिंहपुरा, यमुना खादर की दर्जनों कॉलोनियां बाढ़ की चपेट में आ गईं। लोगों के आवागमन के साथ-साथ जनजीवन भी अस्त-व्यस्त हो गया है। जिले के अधिकतर क्षेत्रों का बीते एक सप्ताह से यही हाल है। सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो गई है। हालांकि प्रशासन और सिंचाई विभाग की टीम लगातार बचाव कार्य और लोगों की मदद करने में जुटी हुई है। शुक्रवार को सदर के जयसिंहपुरा, औरंगाबाद, राजपुर खादर कई कॉलोनियों समेत वृंदावन के कुछ क्षेत्रों के करीब सौ से अधिक लोगों का रेस्क्यू कर राहत शिविरों में शरण दी गई। एसडीएम सदर अभिनव जे जैन और क्षेत्रीय पार्षद राकेश भाटिया ने यहां राहत सामग्री बांटी, ताकि किसी को कोई परेशानी न हो। सदर और वृंदावन में नौ बाढ़ राहत चौकियां बनाई गईं हैं। बाढ़ से प्रभावित लोगों को इसी में शरण दी जा रही है। शुक्रवार को सुबह से यमुना का जलस्तर लगातार नीच गिर रहा है। हथिनीकुंड से शुक्रवार शाम को 26470 क्यूसेक और ओखला से 27480 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जबकि गोकुल बैराज से तीन गुना अधिक 90483 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया जा रहा है। यही कारण रहा कि बीते 24 घंटे में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान 166.16 मीटर से घटकर शुक्रवार शाम को 166.00 मीटर पर आ गया है। हालांकि लोगों की मुश्किलें अभी बरकरार हैं। अधिकारी-कर्मचारी लगातार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी कर रहे हैं।