मथुरा में 1978 के बाद पहली बार यमुना विकराल

मथुरा में 1978 के बाद पहली बार यमुना विकराल

मथुरा। खादर क्षेत्र के जयसिंहपुरा, गणेश टीला, भक्ति धाम कालोनी समेत कई क्षेत्र के लोग राहत शिविर एवं किराए के मकानों में रह रहे हैं। ड्रेन का पानी नाले के जरिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पर पहुंच रहा है। लेकिन, इन दिनों नाला ओवरफ्लो होने के कारण ये पानी सीधे यमुना में जा रहा है, जो वापसी मार रहा है। मसानी से हाईवे लिंक मार्ग पर कई मीटर कल्याणं करोति नेत्र चिकित्सालय तक पानी भर जाने से प्रभावित हो गया है। यमुना का पानी सदर क्षेत्र की गलियों में भर गया। यहां के अशोक विहार, जमुना पार रोड, महादेव घाट रोड पर सुबह चार फीट तक पानी और बढ़ गया, इससे आवागमन में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। यमुना की खादर टापू बनी हुई है। यहां बने सैकड़ों मकान पानी में डूबे हुए हैं। लोगों का आवागमन जलभराव वाले क्षेत्र में बाधित बना हुआ है। यहां भी हालात और विकराल हो गए। यमुना के तेजी से बढ़ते जलस्तर ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। 1978 में आई बाढ़ के बाद पहली बार यमुना इतने रौद्र रूप में हैं। 2023 में आई बाढ़ का रिकार्ड तो पहले ही टूट गया, वर्ष 2010 में यमुना में आई बाढ़ से भी अधिक पानी इस बार सड़कों पर आ गया है। सोमवार सुबह जलस्तर खतरे के निशान 166 मीटर को पार कर 166.67 मीटर पहुंच गया। यमुना किनारे के बाजारों में पानी आने से स्थिति बिगड़ गई।