मथुरा में अफसरों ने छात्रवृत्ति के 22.09 करोड़ किए थे साफ

मथुरा में अफसरों ने छात्रवृत्ति के 22.09 करोड़ किए थे साफ

मथुरा। मान्यताविहीन संस्थानों की मिलीभगत से विद्यार्थियों का हक मारने वाले तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारियों से 22.09 करोड़ रुपये की वसूली होगी। 51 वर्ष तक आयु के फर्जी छात्रों का दाखिला दिखा कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया था। समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने जांच रिपोर्ट के आधार पर रविवार को कार्रवाई की है। शासन द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार, जिले में तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी पर निजी आईटीआई संस्थानों को अनियमित रूप से छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान करने का आरोप है। जांच में पाया गया कि उन्होंने 11 मान्यताविहीन संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये की धनराशि जारी की और दो वर्ष से लेकर 51 वर्ष तक की आयु के फर्जी छात्रों का दाखिला दिखा कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया। इनके खिलाफ सेवा से बर्खास्तगी के साथ 19.25 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश दिया गया है। इसके अलावा पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी विनोद शंकर तिवारी (सेवानिवृत्त) पर भी छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप है। वर्ष 2015-16 से 2019-20 के बीच 11 अमान्य संस्थानों को 2.53 करोड़ रुपये दिए। साथ ही वर्ष 2018-19 में 20 शिक्षण संस्थानों तथा वर्ष 2017-18 में आठ शिक्षण संस्थानों के 5133 छात्रों को बिना परीक्षा में बैठे 9.69 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति दिलाने का आरोप साबित हुआ है। शासन ने उनकी पेंशन से 50 प्रतिशत की स्थायी कटौती और 1.96 करोड़ रुपये की वसूली का आदेश दिया है। इसी तरह मथुरा के ही पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी उमा शंकर शर्मा (सेवानिवृत्त) ने आईटीआई संस्थानों में स्वीकृत सीटों से 5526 अधिक छात्रों को फर्जी भुगतान कराया। इनकी भी पेंशन से 50 प्रतिशत की स्थायी कटौती और 88.94 लाख रुपये की वसूली की कार्रवाई की गई है।